खुदका गुमशुदाईकी तलासमे
लकडाउन कैदखानासे बाहर
एह मुसाफिरको चलते चलते-
जब मेहसुस हुवा फूलोंकी सुगन्ध,
जब दिखाईपड़ा हराभरा पर्यावरण ।
जब हृदयकी कानोमे सुनाईपडा-
पंक्षियोकी संगितवद्ध आवाज ।
जब खुदको मिल्हा-
वायुसे गुफ्तगु कररहा,
तबतक में सिकार बनचुकाथा-
मेरे मोबाइल क्यामेराकी ।
लेकिन,
में प्रमाणसहित सावित करसक्ता हुँ-
फूलोंकी आँखोने लिईहुई तस्बीरजैसा
सुन्दर, सुगन्धित एवं प्राकृतिक
एह कबि हो ना-सकेगा ।